क्या मानसून में मौत
गीले पाँव घर लौटती है ?
पता नहीं
लेकिन किसी भी मौसम में
मरने के बजाय, मौत के बारे में सोचना
ज्यादा भयंकर होता है
जैसे कि प्रेम करना,
प्रेम के विचार से बिलकुल विपरीत है
कभी-कभी लगता है
कि आकाश भी अनावृत्त मूर्ति है
जिसके स्तनो में दूध पानी हो रहा हो
और
बादल उसके गीले फटे वस्त्र हैं
जैसे पृथ्वी उसके बारे में सोचती है
मैं भी सोचता हूं
कि वह पृथ्वी को देखते हुए क्या सोचता है
हरा? लाल? या फिर नीला ही
क्या हम तीनो एक दूसरे के बारे में सोचते भी हैं
अगर हाँ, तो क्यों
अगर नहीं, तो क्यों नहीं
मैं घंटों आसमान की तरफ मुँह उठा कर बैठा रहता हूँ
उसका घाव देखता हूँ
घाव के ऊपर भिनभिनाती मक्खियाँ भी
और महसूस करता हूँ , कि
नीला हो जाने से ज्यादा दुखदायी है
नीले के बारे में सोचना
–
शिवदीप